यह कविता “सबको बराबर नहीं देता, कुछ खास होते हैं” जीवन की कठिनाइयों, संघर्षों और चुनौतियों को स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। यह हमें बताती है कि जीवन की राह कभी भी सरल नहीं होती, परंतु असल सफलता उन्हीं को मिलती है जो अपनी कठिनाइयों का सामना करते हुए, आत्मविश्वास और हिम्मत के साथ आगे बढ़ते हैं। इस कविता में जीवन की उन कठिन परिस्थितियों को चित्रित किया गया है, जब हमें लगता है कि हम हार चुके हैं, लेकिन फिर भी हमें उम्मीद और उत्साह के साथ उठ खड़ा होना चाहिए। यह कविता एक प्रेरणा है, जो हमें बताती है कि संघर्ष के बाद ही सफलता के सच्चे स्वाद का अनुभव होता है, और जब तक हम निरंतर प्रयासरत रहते हैं, तब तक हम अपने सपनों को हकीकत बना सकते हैं।
सबको बराबर नहीं देता, कुछ खास होते हैं,
जो उसके दिल के ज़्यादा पास होते हैं। 1 ।मुख़्तलिफ़ मुश्किलों का बोझ देता झोली में,
परीक्षा ऐसी, कि कड़वाहट आ जाए बोली में। 2।संघर्षों की सीढ़ी पर अकेलेपन का भोग है,
“निकम्मा है यह तो” ऐसा कहते उसको लोग हैं। 3।हार कर जो टूटा अब, न खड़ा हो पाएगा,
सपना तेरा धरा का धरा रह जाएगा। 4।झुठलाकर अपने मन को, उत्साह से भर दे,
कर हिम्मत थोड़ी — ऐसा कुछ काम कर दे। 5।निरंतर जो प्रयासरत रहा, चरणों में लक्ष्य आएगा,
सफलता होगी इतनी अपार — गदगद हो जाएगा। 6।बेशक, यह राह इतनी आसान भी कहाँ है?
लेकिन सबके इतने बड़े अरमान भी कहाँ हैं? । 7 ।सोच लिया जो मन में — उसको सिद्धि तक ले जाना है।
मालूम नहीं तुझको — यह उस खुदा ने भी ठाना है। 8।हुए जहाँ के बड़े व्यक्तित्व — यही सीख बताते हैं,
काबिलियत को देखकर ही संघर्ष नवाज़े जाते हैं। 9।सबको बराबर नहीं देता, कुछ खास होते हैं,
जो उसके दिल के ज़्यादा पास होते हैं।।Anshul Shhyam
इस कविता में यह समझाने की कोशिश की गई है कि कुदरत किसी के साथ भी अन्याय नहीं करती।
जिसमें ज्यादा काबिलियत होती है उसकी झोली में ज्यादा संघर्ष नवाजे जाते हैं।
जो कुदरत के, उसे ईश्वर के, उसे खुदा के ज्यादा करीब होते हैं उनकी झोली में वह और ज्यादा कठिनाई संघर्ष मुश्किलें डाल देता है।
इसलिए नहीं ताकि उन्हें परेशान कर सके, बल्कि इसीलिए क्योंकि उनके अंदर छिपी हुई अमूल्य क्षमता होती है जो निखर कर बाहर आ सके।
लेखक कहना चाहता है कि संघर्षों से कभी हारना नहीं चाहिए, बल्कि यह सोचना चाहिए कि हमारे मन में जो सकारात्मक सपने हैं, भगवान भी हमारे लिए वही चाहता है बस हमें थोड़ा सा और ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है।
संघर्षों की सीढ़ियों को चढ़ते वक्त आप ऐसा भी पाएंगे कि आप एकदम अकेले हैं। यह अकेलेपन का भोग यानी प्रसाद आपको भगवान के द्वारा ही दिया जा रहा है उसे कुदरत का तोहफा समझें। इस अकेलेपन को सहना सीखे।
कई दफा आपको लग सकता है कि मेरे जीवन में सबसे ज्यादा संघर्ष है तो आपको यह भी समझना चाहिए कि आपके जितने बड़े सपने भी सभी के नहीं होते।
कई मौको पर आपको लगेगा कि अब आपके लिए यह सब असहनीय हो रहा है जो भी समस्याएं परेशानियां आपके जीवन में है आप उनको अब और ज्यादा सहन नहीं कर सकेंगे।
लेकिन जब कभी भी ऐसा लगे आपको सचेत हो जाना चाहिए और निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए। अपने मन को झूठ कहकर अपने आप को उत्साहित रखना चाहिए प्रसन्नचित रहना चाहिए। यह आसान बिल्कुल भी नहीं होगा लेकिन संघर्षों से लड़ने का एकमात्र यही तरीका है।
एक बार जो मन में संकल्प कर लिया उसको सिद्धि तक ले जाना ही पुरुषार्थ कहलाता है। जितने भी विद्वान बड़ी-बड़ी हस्तियां हुई हैं उन सभी के जीवन को जब नजदीक से समझा जाए तो पाएंगे कि उनके जीवन में भी बहुत संघर्ष थे। अतः यह समझना चाहिए कि संघर्षों से केवल उन्हीं लोगों को नवाजा जाता है जिनके अंदर उनको सहन करके उनसे ऊपर उठने की काबिलियत होती है।
अब मेरे इस व्याख्यान को पड़ने के बाद यदि आप कविता को पुनः पड़ेंगे तो आपको अब कुछ अलग मतलब समझ आएँगे।